यह एक स्वप्रतिरक्षित बिमारी (आटोइम्यून) है। जिसका परिणाम लचीला जोड़ो में दीर्ध प्रजव्लन है। अगर सही इलाज नही किया धीरे धीरे रोग पुराना होने के कारण जोड़ो का कार्य और लचीलापन नुकसान होता है और प्रभावित जोड़ निर्योग्यकारी और पीड़ादायक होता है। इस बीमारी से जोड़ों में स्थाई विकृति हो जाती है और हमेशा के लिए इनका काम करना बन्द हो जाता है।