गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से कई परीक्षण किए जाते हैं जो कि रूटीन एग्जामिनेशन (routine examination) का हिस्सा होते हैं। इन जांचों के जरिए भ्रूण का विकास, मां का स्वास्थ्य और जटिल _ स्थिति को जानने का प्रयास किया जाता है।
पहली तिमाही में कुछ निम्न टेस्ट किए जाते हैं जैसे - एंटीबॉडी (antibody), आयरन (iron), प्लेटलेट्स (platelates) और थैलेसीमिया (thalassemia) , रूबेला (rubella), सिफलिस (syphilis) या वीडीआरएल (VDRL), हेपेटाइटिस बी और सी (hepatitis B and C), एचआईवी / एड्स (HIV / AIDS),
कंप्लीट ब्लंड काउंट -सीबीसी (complete blood count - CBC), ब्लड ग्रुपिंग (blood grouping), थॉयराइड का स्तर (thyroid levels), वैरिकाला एंटीबॉडी (चिकन पॉक्स) (varicella antibodies (chicken pox), यदि डॉक्टर को किसी भी आनुवंशिक बीमारियों (genetic diseases) की संदेह है तो उसकी जांच।
प्रेगनेंसी के दौरान बिना लक्षण के यूरिन इंफेक्शन होने को एसिम्प्टोमैटिक बैक्टीरियूरिया (asymptomatic bacteriuria) के नाम से जाना जाता है।
इसके जरिए बच्चे के डीएनए (DNA) का आकलन, भ्रूण में डाउन सिंड्रोम (down syndrome), एडवर्ड्स सिंड्रोम (edwards syndrome) होने का ख़तरा, क्रोमोसोमल असामान्यताएं (chromosomal imbalance), माइक्रोएलेट्रेशन सिंड्रोम (microeletation syndrome) इत्यादि की जांच के लिए किया जाता है।
पहली तिमाही में, 12 सप्ताह होने पर सबसे पहले अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिससे योनि से रक्तस्राव और भ्रूण के विकास को देखा जा सके। डाउन सिंड्रोम के जांच के लिए पहले ट्राइमेस्टर में न्यूक्लल थिक स्कैन (nucleic thick scan) किया जाता है।