आई वी एफ से उन दम्पत्तियों को आशा मिली है जो गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। कुछ दम्पत्तियों को मामूली परेशानियों के कारण गर्भधारण करने में दिक्कत होती है जबकि कुछ को बड़ी दिक्कतों के कारणों की वजह से इस समस्या से जूझना पड़ता है। आई वी एफ के ज़रिये उन सभी दम्पातिओं का औलाद का सुख मिल सकता है।
यह एक समस्या है जो काफी पुरुषों में पाई जाती है। पुरुष फर्टिलिटी उपचार, शुक्राणुओं की कमी होने पर, शुक्राणुओं की गति, शुक्राणुओं के आकार, सीमेन में खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणु या वीर्यपात करने में अक्षमता इन सब के लिए मददगार है। आई वी एफ में केवल एक स्वस्थ शुक्राणु की आवश्यकता होती है जो कि अंडे को निषेचित कर सके
काफी महिलाओं में ओव्यूलेशन की समस्या होती है जिसकी वजह से वह अनियमित पीरियड्स, बहुत दर्दनाक पीरियड्स, पीरियड्स में अत्यंत रक्त बहना, या फिर पीरियड्स ना आना, ऐसी कठिनाइयों का सामना करती हैं। यह सब उनकी प्रजनन शक्ति को प्रभावित करती हैं। फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या गर्भाशय में समस्या बाँझपन के सामान्य कारणों में से है । आई वी एफ प्रक्रिया में अधिक अंडों के विकास के लिए अंडाशय में इंजेक्शन लगाए जाते है।
एक तकनीक है जहाँ पुरुष शुक्राणु को स्त्री के गर्भाशय में ओवुलेशन के दौरान डाला जाता है। इस तकनीक का प्रयोग पुरुष के शुक्राणुओं में किसी भी प्रकार की कमी होने पर किया जाता है। इस प्रक्रिया में सीमेन को लैब में साफ़ करने के बाद एक स्वस्थ शुक्राणु चुना जाता है जिसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। अगर पुरुष शुक्राणु की गुणवत्ता अच्छी हो तो यह प्रक्रिया सफल होती है।
पुरुष के सीमेन में से एक स्वस्थ शुक्राणु को चुना जाता है और फिर उसे महिला के अंडे में इंजेक्ट किया जाता है। यह प्रक्रिया ऐसे मामलों में इस्तेमाल की जाती है जहाँ पुरुष शुक्राणु की गतिशीलता कम हो। स्वस्थ स्त्री के अंडे के लिए ICSI की सफलता 70-85% है। शुक्राणु को अंडे में इंजेक्ट करने के बाद वह प्राकृतिक रूप से फर्टिलाइज़ हो जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।