IVF प्रक्रिया करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें कि क्या आप IVF के लिए सही कैंडिडेट हैं या नहीं। डॉक्टर के निर्देशानुसार ही IVF कराना चाहिए। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है जिनमें शामिल हैं – ओवेरियन स्टुमिलेशन, महिला की ओवरी से एग निकालना, पुरुष से स्पर्म प्राप्त करना, फर्टिलाइजेशन और महिला के गर्भ में भ्रूण स्थानांतरण। आईवीएफ के एक साइकिल में लगभग दो से तीन सप्ताह लग सकते हैं, और एक से अधिक साइकिल (IVF Cycle) की आवश्यकता हो सकती है।
1. ज़्यादा अंडो के विकास के लिए इंजेक्शन- यदि आप आईवीएफ के दौरान अपने खुद के एग का उपयोग कर रहे हैं, तो साइकिल (IVF Cycle) की शुरुआत में आपकी ओवरी को कई अंडे बनाने के लिए स्टुमिलेट यानि कि उत्तेजित किया जाता है, इसके लिए आपका डॉक्टर सिंथेटिक हार्मोन के साथ इलाज शुरू करेगा। एक से अधिक एग की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि कुछ अंडे निषेचन (फर्टिलाइजेशन) के बाद सामान्य रूप से निषेचित या विकसित नहीं होते हैं।
इस प्रक्रिया में आपका डॉक्टर आपको बहुत सारी दवाइयाँ दे सकता है। जिसके लिए आपका डॉक्टर कई टेस्ट कर सकता है कि कौन सी दवाओं का उपयोग करना है और कब उनका उपयोग करना है। आमतौर पर, एग देने के लिए तैयार होने से पहले आपको एक से दो सप्ताह के ओवेरियन स्टुमिलेशन की आवश्यकता होगी। यह पता करने के लिए कि कब आपके एग्स लिए जा सकते हैं उसके लिए आपका डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, ब्लड टेस्ट इत्यादि के लिए कह सकता है।
2. अंडो को प्राप्त करने की प्रक्रिया – इंजेक्शन के 10 से 12 दिन के बाद, एक विशेष सक्शन क्रियाविधि की मदद से विकसित अंडो को बहार निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान महिला को एनेस्थीसिया दिया जाता है जिससे उसे दर्द का अनुभव न हो सके।
3.शुक्राणु या वीर्य का सैंपल- अंडो को निकालने के बाद, पुरुष के शुक्राणु का सैंपल लिया जाता है। इस सैम्पल को जांच के लिए लैब में भेजा जाता है। जहाँ शुक्राणु के सैंपल को साफ़ करने के बाद सबसे अच्छे और स्वस्थ शुक्राणु का चयन करते है।
4.अंडे और शुक्राणु का निषेचन- अंडों और शुक्राणु को प्राप्त करने के बाद फर्टिलाइज़ेशन की प्रक्रिया की जाती है। एक अंडे को फर्टिलाइज़ करने के दो तरीके हैं, इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF), जहाँ फर्टिलाइज़ेशन के लिए अंडे और शुक्राणु को एक पेट्रीडिश में रखा जाता है; या इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) जिसमें एक शुक्राणु को अंडे के साइटोप्लाज्म में इंजेक्ट किया जाता है।
5.एम्ब्र्यो कल्चर- अंडे और शुक्राणु के फर्टिलाइज़ेशन के बाद तैयार हुए भ्रूण को इनक्यूबेटर में रखते है, जहाँ भ्रूण को विकसित होने और बढ़ने के लिए उचित वातावरण मिलता है। फर्टिलाइज़ेशन के बाद पाँचवे दिन भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट स्टेज में विकसित हो जाता है और तब तक वह एक एम्ब्रियोलॉजिस्ट की निगरानी में रहता है।
6.एम्ब्र्यो ट्रांसफर(भ्रूण स्थानांतरण) -एक बार जब भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट स्टेज में विकसित हो जाता है, तो इसे कैथेटर की मदद से गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है। भ्रूण के गर्भाशय में ट्रांसफर के बाद वह गर्भाशय की परत पर प्रत्यारोपित (इमप्लांट) हो जाता है। और दो सप्ताह बाद ब्लड टेस्ट के द्वारा बीटा – एच सी जी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) हार्मोन की जांच की जाती है।
भ्रूण स्थानांतरण के बाद, आप सामान्य दैनिक गतिविधियों को फिर से शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आपकी ओवरी अभी भी थोड़ी बढ़ी हई हो सकती है इसलिए किसी भी असमान्य गतिविधि से बचने पर विचार अवश्य करें।
यदि आप भ्रूण स्थानांतरण के बाद थोड़ा या तेज़ दर्द महसूस करती हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वह आपकी किसी प्रकार के इन्फेक्शन जैसे ओवरी (ओवेरियन मरोड़) और गंभीर ओवेरियन हाइपरस्टीमुलेशन सिंड्रोम की जटिलताओं के लिए जाँच करेगा।