स्लीप एपनिया एक प्रकार का निद्रा विकार (Sleep Disorder) है, जिसमें व्यक्ति को सोते समय सांस संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। स्लीप एपनिया के दौरान व्यक्ति सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है और इस कारण से नींद के दौरान उसके खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है। स्लीप एपनिया से ग्रसित व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल समय-समय पर कम होता रहता है और व्यक्ति को इसका कई बार पता नहीं लग पाता है। हालांकि, कई बार ऑक्सीजन का स्तर अत्यधिक कम हो जाता है, जो स्वास्थ्य के नुकसानदायक हो सकता है। स्लीप एपनिया में आमतौर रात के समय बार-बार नींद से जागना, दिन के समय नींद आना और दिनभर थकान महसूस होना आदि लक्षण महसूस होते हैं। स्लीप एपनिया का समय पर इलाज करना बहुत जरूरी होता है और समय रहते देखभाल न करने पर इससे हृदय संबंधी रोग, स्ट्रोक, हाई बीपी और डायबिटीज जैसे रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं रात के समय व्यक्ति पूरी नींद न ले पाने के कारण दिन में उसके काम (या स्कूल) के प्रदर्शन में कमी आने लगती है। स्लीप एपनिया का इलाज जीवनशैली में सुधार व अन्य सामान्य उपचार तकनीकों से किया जाता है। हालाकि, कुछ गंभीर मामलों में सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।
स्लीप एपनिया के प्रकार
स्लीप एपनिया के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं, जो निम्न हैं –
- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया – स्लीप एपनिया के इस प्रकार में बार-बार श्वसन मार्ग में रुकावट होने लगती है। इस दौरान व्यक्ति सोते समय तेज खर्राटे लेता है व हांफता है, जो आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि सांस लेने और छोड़ने के लिए डायाफ्राम व सीने की मांसपेशियों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
- सेंट्रल स्लीप एपनिया – स्लीप एपनिया के इस प्रकार में मस्तिष्क सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को सिग्नल नहीं भेज पाता है। ऐसी स्थिति में श्वसन मार्ग बंद होने लगते हैं।
स्लीप एपनिया के लक्षण
स्लीप एपनिया के दौरान महसूस होने वाले लक्षण आमतौर पर निम्न हैं –
- दिन में नींद आना और थकान महसूस होना
- नींद से जागने के बाद मुंह व गला सूखा महसूस होना
- नींद से बार-बार जागना
- सोते समय बेचैनी रहना
- सोते समय खर्राटे लेना
- सोते समय दम घुटना या हांफना
- मूड व व्यवहार में बदलाव (नींद पूरी न होने के कारण)
- रात के समय बार-बार पेशाब जाने की जरूरत पड़ना
- सिर दर्द
- रात के समय पसीने आना
- यौन जीवन प्रभावित होना
- ध्यान न लगा पाना, बार-बार भूलना और चिड़चिड़ापन रहना
- पर्याप्त नींद न ले पाना
स्लीप एपनिया से पीड़ित बच्चों में निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं –
- कक्षा के दौरान बच्चे को नींद आना या सुस्ती रहना
- रात के समय बच्चे को पसीने आना
- बिस्तर गीला करना
- कक्षा में अच्छा प्रदर्शन न कर पाना
- दिन के समय मुंह से सांस लेना
- निगलने में कठिनाई होना
- असामान्य शारीरिक मुद्रा में सोना (जैसे घुटने और मुंह के बल सोना)
- सांस लेने के दौरान छाती सिकोड़ना
यदि आपको या आपके बच्चे को उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में संपर्क कर लेना चाहिए। वहीं कई बार स्लीप एपनिया के अलग-अलग प्रकारों के अनुसार कुछ अन्य लक्षण भी विकसित हो सकते हैं, इसलिए यदि आपको या आपके बच्चे को किसी अन्य प्रकार का लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करें।
स्लीप एपनिया के कारण
नींद के दौरान एक अनैच्छिक विराम होता है, जिसे एप्नोईक इवेंट (Apnoeic event) कहा जाता है। इस विराम के दौरान न तो व्यक्ति ऑक्सीजन लेता है या बहुत ही कम ऑक्सीजन लेता है और ठीक इसी तरह से बहुत ही कम या न के बराबर कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। ऐसी स्थिति में रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ने लगता है। एप्नोईक इवेंट की संख्या जितनी बढ़ती है और ऑक्सीजन लेवल जितना कम होता है, स्लीप एपनिया उतना ही गंभीर हो जाता है। स्लीप एपनिया जितना गंभीर होता है, उससे होने वाली समस्याएं जैसे थकान, हाई ब्लड प्रेशर, ध्यान न लगा पाना और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा उतना ही बढ़ जाता है।
स्लीप एपनिया के जोखिम कारक
कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जो स्लीप एपनिया होने के जोखिम को बढ़ा सकती हैं जैसे –
- मोटापा (अधिक चर्बी हो जाना)
- बहुत ही कम शारीरिक गतिविधियां करने वाले लोग (गतिहीन जीवन)
- सोने के दौरान तेज खर्राटे लेने वाले लोग
- थायराइड रोगों के मरीज
- शराब का सेवन करने वाले
- वे लोग जिनका किसी अन्य कारण से श्वसन मार्ग में रुकावट है जैसे नाक की हड्डी में टेढ़ापन
- वे लोग जिनकी जीभ असाधारण रूप से मोटी होती है
- 50 साल या इससे अधिक उम्र
- नाक या श्वसन मार्गों की संरचना संबंधी कोई असामान्यता
- पुरुष (महिलाओं की तुलना में पुरुषों को स्लीप एपनिया होने का खतरा अधिक होता है।)
वहीं कुछ दुर्लभ मामलों में स्लीप एपनिया कई बार टॉन्सिल या एडेनोइड में सूजन के कारण भी हो सकता है। साथ ही कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि अधिक मात्रा में तले हुए खाद्य पदार्थ लेना, अधिक कैलोरी वाले फूड्स और अन्य जंक फूड्स भी स्लीप एपनिया के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
स्लीप एपनिया का निदान
स्लीप एपनिया का निदान करने के लिए डॉक्टर आमतौर पर मरीज के लक्षणों और उसकी जीवनशैली के बारे में पूछते हैं। सात ही मरीज का शारीरिक परीक्षण किया जाता है, यदि डॉक्टर को संदेह होता है कि आप स्लीप एपनिया से ग्रसित हैं, तो रात भर आपकी नींद के पैटर्न की जांच की जा सकती है। इसे ओवरनाइट स्लीप इवेलुएशन कहा जाता है, जो आमतौर पर स्लीप स्पेशलिस्ट द्वारा की जाती है। स्थिति की पुष्टि करने के लिए कुछ अन्य जांच भी की जा सकती हैं जैसे –
- पोलिसोम्नोग्राम (PSG)
- हार्ट रेट
- ऑक्सीजन लेवल
- होम स्लीप टेस्ट
स्लीप एपनिया का इलाज
अगर स्लीप एपनिया के लक्षण गंभीर होने से पहले इसका इलाज शुरू कर दिया जाता है, तो जीवनशैली की आदतों में सुधार लाकर और आहार में बदलावों की मदद से ठीक किया जा सकता है। साथ ही अगर स्लीप एपनिया के लक्षण गंभीर नहीं हो पाए हैं, तो उसका इलाज करने के लिए आपके सोने की मुद्रा में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं जैसे एक करवट पर सोना। अगर किसी अन्य रोग जैसे हाइपोथायरायडिज्म या मोटापे के कारण स्लीप एपनिया की समस्या हुई है, तो इन रोगों को नियंत्रित करके भी स्लीप एपनिया की समस्याओं को कम किया जा सकता है।
हालांकि, कुछ मामलों में स्लीप एपनिया गंभीर हो जाता है और जीवनशैली में सुधार व अन्य साधारण उपचार विकल्पों से इस रोग में कोई सुधार नहीं हो पाता है। ऐसी स्थितियों का इलाज करने के लिए सर्जरी की जा सकती हैं। स्लीप एपनिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली सर्जिकल प्रोसीजरों में आमतौर पर टॉन्सिल्लेक्टोमी, एडीनोइडेक्टॉमी और अन्य कई प्रोसीजर शामिल हैं, जो आमतौर पर स्लीप एपनिया के कारणों का इलाज करने के लिए की जाती हैं जैसे नाक की हड्डी को सीधा करना या मोटी जीभ के लिए सर्जरी आदि।
इसके अलावा कुछ अन्य नॉन सर्जिकल मेथड भी हैं, जिनकी मदद से स्लीप एपनिया के लक्षणों व गंभीरता को कम किया जा सकता है। इनमें आमतौर पर रात के समय इस्तेमाल करने के लिए कुछ खास प्रकार के ब्रीथिंग मास्क आदि शामिल हैं। हालांकि, कई बार इन तरीकों को सर्जरी के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही कई ऐसे प्रोडक्ट भी मौजूद हैं, जो खर्राटे जैसी समस्याओं को रोकने में मदद कर सकते हैं।
स्लीप एपनिया की जटिलताएं
स्लीप एपनिया कुछ मामलों में अत्यधिक गंभीर और जानलेवा स्थिति हो सकता है। कुछ गंभीर मामलों में स्लीप एपनिया के कारण शरीर पर कई विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं, जो यहां तक कि व्यक्ति की मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं। अगर स्लीप एपनिया का समय रहते और सही तरीके से इलाज न किया जाए तो इससे हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, स्ट्रोक, डायबिटीज और हाई बीपी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।