गर्भाशय में रसौली क्या है

December 10, 2022by Mahima Aggarwal0

गर्भाशय में रसौली को गर्भाशय में गांठ, गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स, बच्चेदानी में रसौली, बच्चेदानी में गांठ, बच्चेदानी में फाइब्रॉइड्स और यूटेराइन फाइब्रॉइड्स के नाम भी जाना जाता है। गर्भाशय में रसौली को मेडिकल की भाषा में लियोमायोमा या मायोमा कहते हैं।

रसौली गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाला एक ट्यूमर है जिसकी संख्या एक या एक से अधिक हो सकती है। गर्भाशय में रसौली का आकार एक अनार के दाने इतना छोटा और एक अंगूर के आकार इतना बड़ा हो सकता है।

जैसे-जैसे रसौली का आकार बढ़ता है इसके लक्षणों की गंभीरता भी बढ़ती है। गर्भाशय में रसौली होने पर एक महिला को अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे कि पेट में दर्द और पीरियड्स के दौरान असामान्य रक्स्राव आदि।

गर्भाशय में रसौली के कारण गर्भाशय कैंसर का खतरा नहीं होता है। विशेषज्ञ का कहना है कि वजन अधिक होने यानी मोटापा के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर इसका बचाव किया जा सकता है।

गर्भाशय में रसौली का उपचार कई तरह से किया जाता है जो आमतौर पर उसकी संख्या और आकार पर निर्भर करता है। इसके इलाज में जीवनशैली में बदलाव, दवाएं और सर्जरी आदि शामिल हैं।

गर्भाशय में रसौली (फाइब्रॉइड) के प्रकार — Types of Uterine Fibroid 

गर्भाशय की रसौली का प्रकार उसकी स्थिति पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से गर्भाशय की रसौली के पांच प्रकार होते हैं।

types of uterine fibroids are in the form flow chart in hindi language

  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स (Submucosal fibroids )

ये गर्भाशय के अस्तर के नीचे मौजूद और गर्भाशय की तरफ फैले होते हैं। सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड के कारण पीरियड्स के दौरान लंबे समय तक अनियमित ब्लीडिंग होती है।

  • इंट्राम्युरल फाइब्रॉइड्स (Intramural fibroids )

ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की मांसपेशियों में मौजूद और गर्भाशय गुहा में या उसके बाहर की तरफ फैले होते हैं। इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड के कारण श्रोणि, रीढ़ की हड्डी और मलाशय पर दबाव पड़ता है। आमतौर पर इंट्राम्युरल फाइब्रॉइड्स जब तक बड़े नहीं हो जाते इनके लक्षण महसूस नहीं होते हैं।

  • सबसेरोसल फाइब्रॉइड्स (Subserosal fibroids )

ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय के बाहर मांसपेशियों या गर्भाशय की दीवार में मौजूद होते हैं। सबसेरोसल फाइब्रॉएड के कारण श्रोणि में दर्द होता है और रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। साथ ही, पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग होती है।

  • पेडन्युक्लेट फाइब्रॉइड्स (Pedunculated fibroids )

ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय की दीवार के बहार मौजूद होते हैं, लेकिन गर्भाशय से जुड़े होते हैं। पेडन्युक्लेट फाइब्रॉएड के कारण रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है जिसके कारण पीठ के निचले हिस्से में दर्द होता है।

  • सर्वाइकल फाइब्रॉइड्स (Cervical Fibroids )

ये फाइब्रॉइड्स गर्भाशय के गर्दन यानी सबसे ऊपरी सतह में मौजूद होते हैं। सर्वाइकल फाइब्रॉएड से पीड़ित महिला को असामान्य पीरियड्स और अधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है।

 

गर्भाशय में रसौली के कारण — Causes of Uterine Fibroid 

गर्भाशय में रसौली के सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है। लेकिन इसके संभावित कारणों में निम्न शामिल हैं:-

  • आनुवंशिकी:- कई बार आनुवंशिकी के कारण भी गर्भाशय में रसौली हो सकता है। अगर आपके परिवार में पहले कोई गर्भाशय में रसौली से पीड़ित रहा है तो आपमें भी यह बीमारी होने की संभावना है।
  • हार्मोन:- एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के कारण गर्भाशय में रसौली हो सकते हैं। रसौली यानी फाइब्रॉइड्स इन दोनों हार्मोन को अवशोषित करते हैं जिससे इनका आकार बढ़ता है।

 

इन सबके अलावा, गर्भाशय में रसौली दूसरे भी अन्य कारणों से हो सकता है जिसमें गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन, कर्म उम्र में पीरियड्स आना, शरीर में विटामिन डी की कमी, नॉन-वेज का अधिक सेवन, मोटापा और शराब, सिगरेट एवं दूसरी नशीली चीजों का सेवन आदि शामिल हैं।

 

गर्भाशय में रसौली के लक्षण — Symptoms of Uterine Fibroid 

गर्भाशय में रसौली के अनेको लक्षण होते हैं जिनकी मदद से इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि आप इस बीमारी से पीड़ित हैं। गर्भाशय में रसौली के लक्षण निम्न हैं:-

  • एनीमिया होना
  • थकावट होना
  • पैरों में दर्द होना
  • पेट में सूजन होना
  • ब्लैडर पर दबाव होना
  • योनि से ब्लीडिंग होना
  • बार-बार पेशाब लगना
  • कमजोरी महसूस होना
  • कब्ज की शिकायत होना
  • पीरियड्स के दौरान दर्द होना
  • कभी-कभी चिड़चिड़ापन होना
  • पेशाब करते समय रुकावट होना
  • मल त्याग करते समय तेज दर्द होना
  • यौन संबंध बनाते समय योनि में दर्द होना
  • कभी-कभी पीरियड्स में खून के थक्के आना
  • पेट के निचले हिस्से में दबाव और भारीपन होना
  • पीरियड्स के दौरान या बीच में अधिक ब्लीडिंग होना
  • मासिक धर्म चक्र का सामान्य से अधिक दिनों तक चलना

 

अगर आप ऊपर दिए गए लक्षणों को खुद में अनुभव करती हैं या इस बीमारी से पीड़ित हैं तो एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर उचित जांच और इलाज कराना चाहिए।

 

गर्भाशय में रसौली की जांच — Diagnosis of Uterine Fibroid 

गर्भाशय में रसौली की पुष्टि करने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ कुछ महत्वपूर्ण जांच करने का सुझाव देते हैं जिसमें शामिल हैं:-

steps for diagnosis of uterine fibroids are in the form flow chart in hindi language

  1. अल्ट्रासाउंड:- अल्ट्रासाउंड स्कैन की मदद से डॉक्टर गर्भाशय ग्रीवा और सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स का पता लगाते हैं।
  2. एमआरआई:- गर्भाशय में रसौली के आकार और मात्रा का पता लगाने के लिए डॉक्टर एमआरआई का उपयोग करते हैं।
  3. हिस्टेरोस्कोपी:- इस जांच के दौरान हिस्टेरोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है जिसके एक छोर पर कैमरा लगा होता है। आवश्यकता होने पर हिस्टेरोस्कोपी के बाद डॉक्टर बायोप्सी करने का सुझाव दे सकते हैं।
  4. लेप्रोस्कोपी:- इस प्रक्रिया के दौरान लेप्रोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल कर गर्भाशय के बाहर मौजूद फाइब्रॉइड्स की जांच की जाती है। जरूरत पड़ने पर इस प्रक्रिया के बाद बायोप्सी करना का सुझाव दिया जा सकता है।

इन सभी तकनीकों की मदद से गर्भाशय में रसौली की जांच की जाती है। उसके बाद, जांच के परिणामों के आधार पर इलाज के प्रकार का चयन कर उपचार की प्रक्रिया शुरू की जाती है।

 

गर्भाशय में रसौली का इलाज – Treatment of Uterine Fibroid 

गर्भाशय में रसौली का इलाज कई तरह से किया जाता है जिसमें गर्भनिरोधक गोलियां, गोनेडोट्रोपीन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट, लेवोनोर्जेस्ट्रल इंट्रायूटेरिन सिस्टम, सर्जरी शामिल हैं।

गर्भनिरोधक गोलियां ओवुलेशन साइकिल को नियंत्रित करती हैं जो गर्भाशय में रसौली को दूर करने में मदद करती हैं। कुछ मामलों में ये दवाएं बेअसर साबित हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर इलाज के दूसरे माध्यम का चुनाव करते हैं।

गोनेडोट्रोपीन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट सेक्स हार्मोन को प्रभावित करता है। इलाज की इस प्रक्रिया से छोटे रसौली को ठीक किया जा सकता है। गर्भाशय में रसौली का आकार बड़ा होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है।

लेवोनोर्जेस्ट्रल इंट्रायूटेरिन सिस्टम एक प्रकार का उपचार है। यह लेवोनोर्जेस्ट्रल का निर्माण करता है जो एक प्रकार का प्रोजेस्टेरोन है। इससे गर्भाशय में हो रहे बदलाव को रोकने में मदद मिलती है, लेकिन इसके ढेरों संभावित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

जब इन सबसे कोई फायदा नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी से गर्भाशय में रसौली का इलाज करते हैं। गर्भाशय में रसौली की सर्जरी को कई तरह से किया जाता है जिसमें हिस्टरेक्टोमी, मायोमेक्टोमी और एंडोमेट्रियल एब्लेशन शामिल हैं।

 

गर्भाशय में रसौली से अन्य परेशानियां हो सकती हैं – Uterine Fibroid May Cause Other Problems 

गर्भाशय में रसौली का समय पर उचित इलाज नहीं करने से कई तरह की जटिलताओं का खतरा होता है। गर्भाशय में रसौली से निम्न परेशानियां हो सकती हैं:-

  • बांझपन
  • एमेनोरिया
  • पेट में सूजन
  • पीरियड्स में अधिक रक्तस्राव

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

 

गर्भाशय में रसौली का नार्मल साइज क्या है?

गर्भाशय में रसौली का आकार एक अनार के दाने इतना छोटा और एक अंगूर के आकार इतना बड़ा हो सकता है। दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं में 5 सेंटीमीटर से बड़ी रसौली देखी जा सकती है।

  • छोटे फाइब्रॉइड्स का आकार 1-5 सेंटीमीटर
  • मध्य फाइब्रॉइड्स का आकार 5-10 सेंटीमीटर
  • बड़े फाइब्रॉइड्स का आकार 10+ सेंटीमीटर

 

फाइब्रॉएड का कौन सा आकार खतरनाक है?

डॉक्टर का कहना है कि गर्भाशय में रसौली का आकार 5-10 सेंटीमीटर होने पर उसे तुरंत सर्जरी की मदद से बाहर निकाल देना चाहिए, क्योंकि यह खतरनाक माना जाता है।

 

फाइब्रॉइड्स में क्या नहीं खाना चाहिए?

गर्भाशय में रसौली होने पर आपको अपनी जीवनशैली और खान-पान पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इससे पीड़ित होने पर आपको जंक फूड्स, कोल्ड ड्रिंक्स, सिगरेट, शराब, सैचुरेटेड वसायुक्त भोजन, कृत्रिम मिठास, लाल मांस, पशु वसा, सोया उत्पाद और प्लास्टिक में पैक चीजों को नहीं खाना चाहिए।

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