कलर ब्लाइंडनेस (वर्णान्धता) दृष्टि संबंधी एक विकार है, जिसमें व्यक्ति को कुछ निश्चित प्रकार के रंग एक समान दिखने लगते हैं और व उनमें अंतर पता नहीं कर पाता है। यह समस्या आमतौर पर उन लोगों को होती है, जिनकी आंख में जन्म से ही किसी निश्चित रंग के प्रति कोई सेंसिटिव पिगमेंट होता है। यह पिगमेंट आमतौर पर आंख की शंकु कोशिकाओं (Cones of the eye) में पाया जाता है और ये कोशिकाएं आंख की पुतली के पिछले हिस्से में मौजूद होती हैं। आंख कई अलग-अलग हिस्सों से मिलकर बनी होती है और उनमें से सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक रेटिना होता है। रेटिना भी आंख की पुतली के पिछले हिस्से में मौजूद होता है और इस से वे सभी नसें भी जुड़ी होती हैं, जो दृष्टि के संकेत मस्तिष्क तक लेकर जाती हैं। कलर ब्लाइंडनेस से ग्रसित व्यक्ति को कुछ रंग वास्तविक रूप से नहीं दिखते हैं। उदाहरण के रूप में कुछ कलर ब्लाइंड लोगों को लाल रंग की जगह हल्का हरा या ग्रे दिखाई दे सकता है। कलर ब्लाइंडनेस के मामले महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में पाए जाते हैं।
कलर ब्लाइंडनेस के प्रकार
कलर ब्लाइंडनेस के प्रमुख रूप से तीन प्रकार हैं, जिन के बारे में निम्न बताया गया है –
- मोनोक्रोमेटिज्म – इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति सिर्फ एक ही प्रकार के रंग को समझ पाता है, जिसका मतलब है कि उसकी आंख में सिर्फ एक ही प्रकार का रंग मौजूद है। इस समस्या को एक्रोमेटोप्सिया भी कहा जाता है और इससे प्रभावित लोगों को अक्सर ग्रे रंग के कई अलग प्रकार दिखाई देते हैं।
- डिक्रोमेटिज्म – कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार के ग्रसित लोगों को सिर्फ दो ही रंग पहचान में आते हैं, जिसका मतलब है कि उनकी आंख में सिर्फ दो ही प्रकार की शंकु कोशिकाएं मौजूद हैं और तीसरी शंकु कोशिका मौजूद नहीं है।
- एनोमेलस ट्रिकोमेटिज्म – कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार में व्यक्ति की आंख में वैसे तो तीनों प्रकार की शंकुत कोशिकाएं होती हैं, लेकिन या तो वे किसी कारण से ठीक से काम नहीं कर पाती हैं या फिर उनकी संख्या सामान्य से कम होती है। कलर ब्लाइंडनेस के इस प्रकार के ग्रसित लोग अक्सर एक ही रंग की अलग-अलग शेड्स की पहचान नहीं कर पाते हैं।
कलर ब्लाइंडनेस के लक्षण
कुछ निश्चित रंगों की पहचान न कर पाना या फिर वे रंग एक ही जैसी दिखना कलर ब्लाइंडनेस का सबसे मुख्य लक्षण माना जाता है। उदाहरण के लिए जैसे कोई कलर ब्लाइंड व्यक्ति लाल और हरे रंग की पहचान कर पा रहा हो लेकिन नीले और पीले रंग की पहचान न कर पा रहा हो। इसके अलावा कलर ब्लाइंडनेस व्यक्ति को निम्न लक्षण भी महसूस हो सकते हैं –
- सिर्फ कुछ ही प्रकार के रंगों की पहचान कर पाना, जबकि सामान्य व्यक्ति रंगों में थोड़े से बदलाव की पहचान भी कर सकता है
- किसी रंग की चमक का अंदाजा न लगा पाना जैसे गहरे लाल और चमकदार लाल के बीच अंतर न पता कर पाना
- सिर्फ काले, सफेद और ग्रे रंग की पहचान कर पाना (हालांकि, ऐसा कलर ब्लाइंडनेस के गंभीर मामलों में ही होता है और यह स्थिति दुर्लभ है)
कलर ब्लाइंडनेस के कारण
कलर ब्लाइंडनेस के ज्यादातर मामले अनुवांशिक होते हैं, जिसमें इस रोग का कारण बनने वाला जीन एक्स गुणसूत्र (X Chromosome) में पाया जाता है। जैसा कि महिलाओं में एक्स क्रोमोसोम दो होते हैं और पुरुषों में सिर्फ एक ही होता है, इसलिए कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा पुरुषों में अधिक पाया जाता है। साथ ही आंखों को प्रभावित करने वाली ऐसी कई अनुवांशिक समस्याएं भी हैं, जो कलर ब्लाइंडनेस का कारण बन सकती हैं। उदाहरण के रूप में मोतियाबिंद जैसी समस्याएं कलर ब्लाइंडनेस पैदा कर सकती हैं, हालांकि उसका इलाज होने के बाद यह समस्या भी ठीक हो जाती है। वहीं किसी दुर्घटना, किसी हानिकारक केमिकल के संपर्क में आना या फिर सर्जरी आदि के दौरान आंख में किसी प्रकार की क्षति होने के कारण भी कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है।
कलर ब्लाइंडनेस के जोखिम कारक
निम्न कुछ स्वास्थ्य समस्याएं व अन्य स्थितियां हैं, जो किसी व्यक्ति को कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा बढ़ा देती हैं –
- परिवार में पहले किसी को कलर ब्लाइंडनेस की समस्या होनामहिलाओं की तुलना में पुरुष को कलर ब्लाइंडनेस की समस्या अधिक रहती है
- गोरे लोगों को कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा अधिक देखा गया है
- उम्र के साथ-साथ होने वाली आंखों की बीमारियां जैसे मोतियाबिंद और ग्लूकोमा भी कलर ब्लाइंडनेस का कारण बन सकती हैं
- मल्टीपल स्क्लेरोसिस, डायबिटीज और अल्जाइमर रोगों के कारण कलर ब्लाइंडनेस होने का खतरा बढ़ सकता है।
कलर ब्लाइंडनेस की जटिलताएं
कलर ब्लाइंडनेस से स्वास्थ्य संबंधी कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन इससे व्यक्ति को अपने रोजाना के जीवन में कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे –
- ड्राइविंग के दौरान ट्रैफिक लाइट्स की पहचान न कर पाना जो सड़क दुर्घटना का कारण बन सकती है
- स्कूल, कॉलेज या ऑफिस में ठीक तरीके से काम न कर पाना
- अच्छा प्रदर्शन न कर पाने के कारण मानसिक रूप से प्रभावित होना