– कोर्टिकल कैटरैक्ट्स – इस स्थिति में रोशनी से चमक ज्यादा लगने लगती है और साथ ही मरीज की प्रकाश सहन करने की क्षमता भी कम हो जाती है। – पोस्टीरियर सबकैप्सूलर कैटरैक्ट्स – यह आमतौर पर कम उम्र के लोगों (जैसे किशोर) को होता है और यह तेजी से बढ़ता है। – न्यूक्लियर कैटरैक्ट्स – मोतियाबिंद के इस प्रकार में मरीज की दूर की चीजें देखने की क्षमता प्रभावित हो जाती है।
– धुंधला दिखना – रंग फीके दिखना – रात को देखने में कठिनाई – चश्मे का नंबर बढ़ जाना – दोहरी दृष्टि (हर चीज दो दिखाई देना) – रोशनी से अधिक चमक लगना – ऐसा लगना जैसे चश्मे का लेंस गंदा हो गया है
– आंख में चोट लगना – संक्रमण – रेडिएशन के संपर्क में आना – डायबिटीज
मोतियाबिंद के जोखिम कारक
– धूम्रपान करना – शराब का अत्यधिक सेवन करना – अधिक स्टेरॉयड दवाएं लेना – ट्रैंक्विलाइज़र या डाईयूरेटिक दवाएं लेना – शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना – अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रहना