हाइपरटेंशन का सीधा संबंध दिल से है। दरअसल, शरीर के सभी अंगों या कोशिकाओं तक साफ खून पहुंचाने और फिर साफ खून का उपयोग अंगों या कोशिकाओं द्वारा करने के बाद खराब खून वापस किडनी और लंग्स में भेजने का काम दिल का ही होता है। दिल 1 मिनट में यह काम अमूमन 70 से 75 बार करता है। जब सबकुछ सही रहता है तो हमारी खून की नलियों में ब्लड प्रेशर 120/80 होता है। लेकिन खून की नलियों में फैट जमा होने, किडनी की समस्या होने, तंबाकू आदि के सेवन की वजह से नलियों का रास्ता संकरा हो जाता है या नलियों का लचीलापन कम हो जाता है। इस वजह से दिल को विभिन्न अंगों या कोशिकाओं तक खून पहुंचाने और वापस लाने में ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। यहीं से हाई बीपी या हाइपरटेंशन की शुरुआत होती है।
क्या हैं हाइपरटेंशन के लक्षण
-सर दर्द या सर में भारीपन
-थकावट
-चिड़चिड़ापन या जल्दी और तेज गुस्सा आना
-आंखों में परेशानी
-सीने में दर्द
-सांस लेने में परेशानी
-अनियमित धड़कन
-धड़कनों का बढ़ जाना (ट्रैकी कार्डिया)
-कानों में सनसनाहट
-जबड़ों में जकड़न
-कुछ मामलों में पेशाब में खून
-सांस फूलना
हाइपरटेंशन के कारण
खानदानी बीमारी
हाइपरटेंशन का बहुत बड़ा कारण आनुवांशिक होता है यानी अगर पैरंट्स को हाइपरटेंशन की शिकायत रही है तो बच्चों में भी यह परेशानी हो सकती है। ऐसे में सवाल जरूर उठता है कि क्या इससे बचने का कोई उपाय नहीं है? उपाय जरूर है। अगर हम रुटीन और लाइफस्टाइल को दुरुस्त रखें तो हाइपरटेंशन की समस्या से बच सकते हैं।
खराब लाइफस्टाइल
आजकल हाइपरटेंशन के मामले में खराब लाइफस्टाइल का रोल सबसे बड़ा होता है। रात में देर तक जगना, सुबह देर तक सोना, न जॉगिंग, न फिजिकल ऐक्टिविटीज, सूरज की रोशनी से दूरी, मेहनत से पसीना न निकालना… ऐसे तमाम कारणों से हमारी लाइफ पूरी तरह से डिस्टर्ब हो जाती है। नतीजा होता है हाइपरटेंशन।
फिजिकल ऐक्टिविटी कम
अगर पैरंट्स से हम तक हाइपरटेंशन की परेशानी पहुंचने का खतरा है तो हम फिजिकल ऐक्टिविटीज के द्वारा इसे काफी हद तक कम कर सकते हैं। अगर यह खतरा नहीं भी है तो भी हमें फिजिकल ऐक्टिविटीज को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। सच तो यह है कि ज्यादातर लोग न तो जॉगिंग करते हैं, न योग और न ही एक्सरसाइज। ऐसे में मोटापा और बीपी का बढ़ जाना आम है।
यह जेनेटिक भी हो सकता है और लाइफस्टाइल की वजह से भी। अगर जेनेटिक है तो भी लाइफस्टाइल को दुरुस्त करके मोटापा से बच सकते हैं। सच तो यह है कि मोटापा सीधे तौर पर कोई बीमारी नहीं है, लेकिन इसकी वजह से शरीर बीमारियों का घर जरूर बन जाता है। हाइपरटेंशन के मामले में तो यह और भी खतरनाक हो जाता है। दरअसल, मोटापे की वजह से शरीर में वसा या कॉलेस्ट्रॉल सिर्फ स्किन के नीचे ही जमा नहीं होता बल्कि यह शरीर के विभिन्न अंगों तक खून लाने और ले जाने वाली नलियों में भी जमा हो जाता है।
नींद पूरी न होना
स्वस्थ शरीर के लिए नींद का पूरा होना जरूरी है। हमारा रिलैक्स होना हमारे अंगों को ऊर्जा से भर देता है। दरअसल, जब हम नींद में होते हैं तो हमारे सभी अंग पूरी तरह से आराम कर रहे होते हैं। जब हम नींद पूरी नहीं करते तो हमारे अंगों को अतिरिक्त काम करना पड़ता है और नतीजा होता है अतिरिक्त दबाव।
किडनी की समस्या
कई बार बीपी बढ़ने की वजह किडनी भी होती है। किडनी से रेनिन एंजियोटेंसिन सिस्टम (Renin angiotensin system) के द्वारा शरीर में ब्लड प्रेशर को रेग्युलेट किया जाता है। साथ ही, यह फ्लूड और इलेक्ट्रोलाइट के बैलेंस में भी अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में जब किडनी में समस्या होती है तो इस सिस्टम पर भी असर होता है और नतीजा होता है बीपी का बढ़ जाना। यही कारण है कि जिनकी किडनी में समस्या होती है, उनमें अमूमन बीपी की समस्या हो ही जाती है। अगर अचानक बीपी बढ़ गया हो और कोई कारण समझ में नहीं आ रहा हो तो डॉक्टर की सलाह से किडनी का अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए। एक बात और, अगर बीपी किडनी की परेशानी की वजह से नहीं बढ़ा हो, किसी और वजह से बढ़ा हो तो भी किडनी का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है क्योंकि हाइपरटेंशन का सीधा असर किडनी पर पड़ता है।
नमक ज्यादा लेना
शरीर के लिए नमक जरूरी है, लेकिन जब इसकी मात्रा शरीर में ज्यादा हो जाए तो बीपी बढ़ जाता है। दरअसल, इसकी वजह यह है कि खून में सोडियम की ज्यादा मौजूदगी खून के संतुलन को बिगाड़ देती है और किडनी की कार्यक्षमता को घटा देती है। इससे किडनी खून में मौजूद पानी को पूरी तरह से नहीं छान पाती। फिर शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। इससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और बीपी बढ़ जाता है।
नॉन-वेज ज्यादा लेना
मांसाहारी भोजन में वसा की मात्रा अमूमन ज्यादा होती है। वहीं इसे ज्यादा तापमान और ज्यादा चिकनाई में पकाना भी पड़ता है। इस वजह से इन्हें खाने से हाई बीपी की समस्या होने का खतरा बना रहता है।
शराब, तंबाकू आदि
इन सभी नशीली पदार्थों के सेवन से खून का रासायनिक संतुलन बिगड़ जाता है। बीपी बढ़ जाता है।
तनाव है बड़ी वजह
तनाव सभी बीमारियों की जड़ है। इसलिए हमें चिंता नहीं, चिंतन करना चाहिए। तनाव की वजह से हमारी नींद खराब होती है। तनाव से हाइपरटेंशन और इससे शुगर और दूसरी बीमारियां होती हैं।
हाइपरटेंशन का नतीजा
-दिल का कमजोर होना
-रक्त नलिकाओं का कमजोर होना
-हार्ट अटैक का खतरा
-ब्रेन स्ट्रोक का खतरा
-पैरों की नसें खराब होना
-पैरों में सूजन
-आंखों की परेशानी
-किडनी की परेशानी
-नींद में कमी
लाइफस्टाइल करें दुरुस्त
रुटीन को सुधारें
– हाइपरटेंशन को काबू में रखने के लिए यह जरूरी है कि हम लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएं। इसके लिए एक सही रुटीन को फॉलो करें। सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक की टाइमिंग सही हो।
-ऑफिस की टेंशन को ऑफिस में छोड़ें और घर पर फ्री होकर लौटें। वैसे आजकल ज्यादातर लोगों का वर्क फ्रॉम होम है, ऐसे में इस बात का ध्यान रखना और भी जरूरी है।
-इंसान के हाथ में सबकुछ नहीं होता, यह सोचकर आगे बढ़ना चाहिए।
-पिछली गलतियों को सुधारा नहीं जा सकता, लेकिन इससे सीखकर आगे की गलती से बच सकते हैं। पछताने से कोई फायदा नहीं होता। ऐसा सोचने से तनाव जरूर कम होता है। इससे पॉजिटिविटी डिवेलप होती है।
-सुबह में हर दिन 10 से 15 मिनट मेडिटेशन करने से तनाव काफी कम होता है। यह हमें आपात स्थिति को भी बेहतर तरीके से संभालने में सक्षम बनाता है। मेडिटेशन सब्र रखने की क्षमता को भी बढ़ाता है।
राइट डायट
मैग्नीशियम वाला भोजन
ऐसे फूड का चुनाव करें, जिनमें मैग्नीशियम की मात्रा ज्यादा हो। मसलन: सभी तरह के सीड्स (लौकी के बीज, फ्लैक्स सीड आदि), काजू और हरी पत्तेदार सब्जियां। हर दिन अगर हम एक चम्मच लौकी के बीज या 2 से 3 काजू की कली खाएं तो हमारा काम चल जाएगा। वहीं हरी सब्जियों को रुटीन के हिसाब से ही 1 कटोरी हर दिन खाने से मैग्निशियम की कमी नहीं होगी। अगर किसी के शरीर में मैग्निशियम की कमी ज्यादा हो गई है तो डॉक्टर की सलाह से मैग्निशियम का सप्लिमेंट ले सकते हैं। मैग्नीशियम एक नेचुरल एंटी-डिप्रेशंट एजेंट है। नींद लाने में भी मदद करता है।
चिकनाई कम
हाइपरटेंशन को कम करने में हमारे खानपान का काफी अहम रोल होता है। अगर हाइपरटेंशन से बचना है तो ज्यादा फैट (घी, रिफाइंड और तेल) और मसाले वाले खाने से जरूर बचें। जिन्हें इस परेशानी ने घेर लिया है, उनके लिए तो चिकनाई वाला खाना 15 दिन में एक बार ही होना चाहिए।
नमक बहुत कम
खाने में ऊपर से नमक लेकर खाने की आदत जरूर बंद दें। जिन्हें हाइपरटेंशन की समस्या है, उनके लिए तो यह जरूरी है कि नमक सामान्य से भी कम लें। हर दिन 3 से 5 ग्राम (लगभग 1 छोटा चम्मच) नमक काफी है। कई लोग ऊपर से नमक लेते हैं, यह हानिकारक है। नमकीन, मिक्सचर को न कहें। सेंधा नमक दूसरे नमक की तुलना में कुछ बेहतर हो सकता है।
हरी सब्जी, फल की मात्रा बढ़ाएं
हर दिन सब्जियों और फलों का सेवन करें। सब्जियों में पालक और दूसरे साग, बंद गोभी आदि का सेवन खूब करें।