भारत में निःसंतानता काॅमन समस्या बन गयी है, संतान की चाह रखने वाले करीब 15 फीसदी दम्पती इससे प्रभावित हैं। अरबन एरिया में ज्यादातर कपल्स काफी तनावपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं
(एआरटी) ने उन्हें बढ़ती उम्र में भी माँ कहलाने का सुख दे दिया है, अब तो वे महिलाएं भी माँ बन सकती हैं जिनकी उम्र 45 वर्ष की है या जिनके मेनोपाॅज हो गया है।
प्राकृतिक रूप से गर्भधारण के सपने उम्र बढ़ने के साथ धुंधले होते जाते हैं क्योंकि कंसीव करने और स्वस्थ भ्रूण के लिए अण्डे की क्वालिटी अच्छी होना आवश्यक है
20 तक, चार में से एक महिला (100 में से 25) के मासिक चक्र में गर्भ धारण करने की संभावना है, लेकिन 40 में, यह सिर्फ 5% है और 45 पर, यह बिना चिकित्सा के 0% है। धारण करता है। एक अन्य अध्ययन के अनुसार, जोखिम 34-35 वर्षों में 14%, 36-37 में 19%, 38-39 में 30%, 40-41 वर्षों में 53% और 45 वर्षों में और भी कम हो जाता है।
रिसर्च के अनुसार महिलाओं में 35 वर्ष के बाद प्राकृतिक पे्रग्नेंसी और प्रसव में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है जटिलता उतनी ही बढ़ जाती है। 40 बाद के बाद प्रेग्नेंसी में गर्भपात का खतरा 40 प्रतिशत तथा 45 की उम्र में इससे ज्यादा बढ़ जाता है
यह तकनीक प्राकृतिक गर्भधारण की प्राथमिक प्रक्रिया से थोड़ी अलग हैं लेकिन जिन महिलाओं को गर्भधारण नहीं हो पा रहा है या उम्र अधिक हैं उनके लिए सफल और प्रभावी है।