इन विट्रो फर्टिलाइजेशन अथवा IVF एक ऐसी सहायक प्रजनन तकनीक है जो विशेषज्ञों द्वारा उन जोड़ों को सुझाया जाता है जो संतान की कामना करते हैं परन्तु प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में निरंतर प्रयासों के बाद भी असफल रहते हैं।
IVF की प्रक्रिया प्रारम्भ करने के पहले डॉक्टर कई तरह के परिक्षण करने का परामर्श दे सकते हैं:
आपका प्रजनन विशेषज्ञ कुछ सरल सरल हार्मोन रक्त परीक्षण की सलाह देता है जिसकी सहायता से यह ज्ञात किया जाता है महिला के शरीर में कितने अंडे मौजूद हैं। हार्मोन जैसे की फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉर्मोन (FSH), एंटी मुलरियन हॉर्मोन (AMH), और एस्ट्राडियोल IVF उपचार की सफलता दर का अनुमान लगाने में सहायता करते हैं।
हिस्टेरोसाल्पिंगो कंट्रास्ट सोनोग्राफी (Hysterosalpingo Contrast Sonography) एक आधुनिक और विशेष प्रकार का अल्ट्रासाउंड परिक्षण है जिसकी सहायता से फैलोपियन ट्यूब या गर्भाशय की स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है।
यह परिक्षण वीर्य की गुणवत्ता को जांचने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से वीर्य में शुक्राणु की कुल गिनती, उनका आकार, गति, इत्यादि का पता लगाया जाता है। इस परिक्षण के आधार पर तय किया जाता है की ICSI या IUI का सहारा लिया जा सकता है या नहीं।
यह परिक्षण प्रोलैक्टिन तथा थायराइड हार्मोन के स्तर को मापता है। प्रोलैक्टिन स्तन के दूध के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है जबकि थायराइड हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म के लिए आवश्यक है।
इसमें डॉक्टर यह पता लगाने का प्रयास करते हैं की कहीं किसी प्रकार संक्रमण तो नहीं। इस जांच में एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, सिफलिस और हेपेटाइटिस सी सम्मिलित है। ये संक्रमण भ्रूण के लिए जोखिम को बढाती है तथा गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकती हैं।
यह एक अभयास परिक्षण है जिसमें आईवीएफ की सफलता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। इसमें डॉक्टर वास्तविक प्रक्रिया को करने से पहले ही मार्ग की पहचान कर लेते हैं। इस परिक्षण से गर्भाशय के व्यवहार को समझने में सहायता मिलती है। तो यह कुछ आईवीएफ से पहले के परीक्षण हैं। अधिक जानकारी के लिए आज ही संपर्क करें।